बुरहानपुर। जंगलों से लेकर बस्तियों तक उछलकूद मचाने वाले वानर कितने सहनशील होते हैं, इसका एक उदाहरण बुरहानपुर जिले के सुदूर गांव भावसा में सामने आया है। यहां करीब 35 करोड़ की लागत से बनाए गए भावसा डैम के बीच स्थित इमली के एक पेड़ पर मजे से रह रहे 55 वानर यानी बंदर जुलाई माह में अचानक डैम भर जाने से पेड़ पर फंस कर रह गए थे। करीब साढ़े चार माह तक वानर पेड़ के पत्ते और फिर छाल खाकर जिंदगी की जंग लड़ते रहे। आखिरकार जब पत्तों के बाद छाल भी समाप्त हो गई तो भूख से बेहाल वानर एक-एक कर पानी में गिरते गए और उनकी मौत होती गई।
अब यहां केवल पांच वानर ही जीवित बचे हैं, जिन्हें ग्रामीण जान की बाजी लगा कर भोजन पहुंचा रहे है। गांंव के गोविंदा सहित अन्य लोगों का कहना है कि उन्हें पहले इसकी जानकारी नहीं लग पाई थी। वानरों की मौत के लिए ग्रामीण डैम का निर्माण कराने वाले जल संसाधन विभाग और वन्य प्राणियों की रक्षा करने वाले वन विभाग के अफसरों को दोषी ठहरा रहे हैं। वन विभाग के अफसर शेष बचे वानरों के लिए रेस्क्यू आपरेशन चलाने की बात कह रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि उनके प्रयास खानापूर्ति से ज्यादा कुछ दिखाई नहीं दे रहे। ज्ञात हो कि भावसा डैम का निर्माण इसी साल पूरा हुआ है। यह वन क्षेत्र से लगा हुआ है। नियमानुसार बांध को भरने से पहले संबंधित विभाग अच्छी तरह जांच करता है कि वहां कोई इंसान अथवा वन्य प्राणी तो नहीं है, लेकिन दोनों विभागों ने यह औपचारिकता नहीं निभाई। जिसका खामियाजा मूक वन्य जीवों को अपने प्राण त्याग कर चुकाना पड़ा।