बुरहानपुर। विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी), महापौर श्रीमती माधुरी अतुल पटेल, कलेक्टर हर्षसिंह सहित जनप्रतिनिधियों, गणमान्य नागरिकों ने मोहम्मदपुरा स्थित अमृत-2.0 योजनांतर्गत बुरहानपुर की रेणुका झील के उन्नयन कार्य का अवलोकन किया।
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने बताया कि रेणुका माता झील में गेबियन संरचना, झील के किनारों पर स्टोन पिचिंग कार्य, गार्डन एवं चारो ओर पार्थ-वे, गार्डन विकास, फव्वारे की स्थापना, सौंदर्यीकरण एवं वृक्षारोपण का कार्य किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त रेणुका झील मं आने वाले मोहम्मदपुरा गांव के सीवरेज वॉटर से झील में मिलने वाली अशुद्धि को रोकने के लिए इंटर सेप्सन डायवर्जन स्ट्रक्चर का निर्माण कर सीकर लास के माध्यम से जल-मल की अशुद्धि को बायपास कर झील में मिलने से रोका जाएगा। झील में सालभर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बोहरड़ा स्थित एसटीपी का ट्रीटेड वॉटर पंप करके झील तक लाने के लिए पाईप लाईन भी डाली जा रही है। साथ ही परिसर में पौधारोपण किया जा रहा है। लोगों को जल और प्रकृति से जोड़ने हेतु इस स्थान परइंटरपीटिशियन सेंटर बनाने की भी योजना की जा सकती है। जिससे शहरवासियों को एक सुविधा मिल सकेंगी।
इस पर लगभग 1 करोड़ 85 लाख रूपए व्यय किए जा रहे है। ताप्ती के तट पर मन को आनंदित करने वाली इस झील को भारत सरकार की योजना अमृत-2 के अंतर्गत स्वीकृत करने पर माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का धन्यवाद ज्ञापित करती हूं और योजना के क्रियान्वयन के लिए महापौर श्रीमती माधुरी पटेल एवं जिला प्रशासन व नगर निगम का अभिनंदन करती हूं।
इस दौरान महापौर श्रीमती माधुरी पटेल, कलेक्टर हर्षसिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ.मनोज माने, पूर्व महापौर अतुल पटेल, नगर निगमायुक्त संदीप श्रीवास्तव, जनपद पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि प्रदीप पाटिल, चिंतामन महाजन, कैलाश पारीख, पार्षद धनराज महाजन, संभाजीराव सगरे, आशीष शुक्ला, अशोक महाजन, मनोज फुलवाणी, हेमेन्द्र महाजन, एजाज अशरफी, प्रभाकर चौधरी, रवि गावड़े, डॉ.मनोज अग्रवाल, रवि काकड़े, चिंटू राठौर, अक्षय मोरे, गौरव शिवहरे, श्रीमती सुधा चौकसे, महेशसिंह चौहान, देवराम महाजन, श्रीमती संध्या कदवाने, ईश्वर चौहान, प्रमोद गढ़वाल, भावनदास चंचलानी, महेन्द्र सिरतुरे, रूपेश लिहनकर, आकाश चौधरी, रोहन पाटिल, उमेश देवस्कर, प्रशांत रावतोले, कमर भाई एवं प्रसाद उमाले सहित अन्य जनप्रतिनिधि व गणमान्य नागरिक व अधिकारीगण उपस्थित रहे।
विधायक श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि बुरहानपुर की रेणुका झील पर भारत सरकार की योजना अंतर्गत जल संवर्धन की दृष्टी से किया जाने वाला एक महति व अर्थपूर्ण कार्य है। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी द्वारा चलाए जा रहे ’जल गंगा संवर्धन अभियान’ अंतर्गत इस झील का कार्य भी किया जाना सुनिश्चित किया जा रहा है। इसी परिपेक्ष्य में ‘‘जल संवर्धन एवं भूमिगत जल पुनर्भरण‘‘ अंतर्गत आज बुरहानपुर की रेणुका झील में जनप्रतिनिधियों तथा प्रशासनिक अधिकारियों के साथ अवलोकन किया। साथ रेणुका झील की सफाई कर उपस्थितों ने सामुहिक सहभागिता से क्षेत्र की पुरानी जल संरचनाओं की मरम्मत, कुओं की रिचार्जिंग जल संस्कार अभियान के तहत ‘‘जल समृद्ध बुराहनपुर‘‘ हेतु संकल्प लिया। हमारे वेदों एवं पुराणों में प्रकृति सवंर्धन जल सवंर्धन के महत्व को रेखांकित किया है यह हम सब का नैतिक दायित्व है कि हम ‘‘जल समृद्ध बुरहानपुर‘‘ हेतु हमारी पीढ़ी को जल संस्कारांे से अवगत कराए। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि जल पुनर्भरण और संवर्धन का लक्ष्य सरकार व सामुदायिक सहयोग से ही संभव हो सकेंगा। वर्षा कम नहीं है, लेकिन उसे संभाल ले यह जरूरी है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा परिकल्पित जल शक्ति मिशन का बुरहानपुर में सर्वश्रेष्ठ क्रियान्वयन हो रहा है। इस हेतु ग्राम वार कार्ययोजना बनाकर क्रियान्वयन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री जी के जल संरक्षण हेतु दूरदर्शी कार्ययोजना ’जल गंगा संवर्धन अभियान’ के अंतर्गत अभी से आगामी वर्षा के पूर्व तक सुनियोजित कार्ययोजना व क्रियान्वयन हेतु जल समृद्ध बुरहानपुर उद्देश्य के हम सब कार्य करेंगे।
विधायक श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि सैकड़ों, हजारों तालाब अचानक शून्य से प्रगट नहीं हुए थे। इनके पीछे एक इकाई थी बनवाने वालों की, तो दहाई थी बनाने वालों की। यह इकाई दहाई मिलकर सैंकड़ा हजार बनती थी। इस वक्तव्य का सीधा सच्चा आशय यह है कि भारत की मानसूनी जलवायु में जहाँ साल के आठ माह अमूनन सूखे रहते हैं वहाँ तालाबों ने साल भर पानी उपलब्ध करा कर, अपनी उपयोगिता सिद्ध की थी। उनके निर्माण का मतलब था समाज के लिए भरोसेमन्द सर्वकालिक और सर्वभौमिक जल उपलब्धता की गैरन्टी और बरसात पर आधारित खरीफ तथा रबी की फसलों के लिए किसी हद तक नमी का संम्बल। यह खासियत तालाब खोदने मात्र से हासिल नहीं हुई थी। यह खासियत हासिल हुई थी तत्कालीन जल मनीषियों के लम्बे अवलोकनों तथा स्थानीय घटकों के असर को समझने के बाद। भारत के परम्परागत जल विज्ञान पर आधारित तालाबों का विकास इन्हीं मूलभूत आवश्यकताओं अर्थात खेती और निस्तार को केन्द्र में रख हुआ होगा।