बुरहानपुर के प्रसिद्ध स्वामीनारायण संप्रदाय के ऐतिहासिक स्वामीनारायण मंदिर का नया फरमान जारी हुआ जिसमें मंदिर में जींस, स्कर्ट, हाफ पेंट, लोअर, टॉप वेस्टर्न ड्रेस पहनकर मंदिर में प्रवेश पर रोक लगाई गई । सूचना बोर्ड पर श्रद्धा श्रद्धालुओं ने भी दिल से स्वागत किया है दरअसल मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में. स्वामीनारायण मंदिर 190 वर्ष पुराना सीलमपुर में स्थित है । स्वामीनारायण मंदिर जहां पर अधिक मास के अवसर पर मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि अन्य सीमावर्ती प्रदेशों से भी श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं और इन दिनों मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है वही मंदिर समिति द्वारा हाल ही में एक सूचना बोर्ड लगाया गया है जिसमें उन्होंने अंकित किया है कि मंदिर में जींस, स्कर्ट, हाफ पेंट, लोअर, टॉप वेस्टर्न ड्रेस पहनकर प्रवेश पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया गया है अक्सर ऐसे प्रतिबंध के बाद इसका विरोध दिखाई देता है लेकिन यहां पर इस प्रतिबंध का श्रद्धालुओं ने भी दिल से स्वागत किया है स्वामीनारायण मंदिर के पुजारी राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि देखा जा रहा है कि देश का युवा हमारी प्राचीन सभ्यता को छोड़ वेस्टर्न ड्रेस और पहनावे की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहा है युवा पीढ़ी पश्चिमी सभ्यता की ओर ज्यादा आकर्षित हो रही है हमारे घर में हमारे बुजुर्ग और माता-पिता है आप उनके राह पर चलिए । उन्होंने बताया जो आजकल आधे कपड़े पहने जाते हैं वह हमारी संस्कृति नहीं है वह हमारे लिए शर्म की बात है अभी न्यू जनरेशन को इसमें मजा तो बहुत आता होगा लेकिन आने वाले समय में इसका परिणाम बहुत खतरनाक सारे समाज को भोगना होगा इसलिए हमारी युवा पीढ़ी को पूरे कपड़े पहन कर भारतीय संस्कृति को अपनाना चाहिए और एक मर्यादित जीवन जीना चाहिए लेकिन अगर हम हमारे मंदिरों में आधे कपड़े पहन कर जाएंगे तो इसमें हमारे समाज की कोई शोभा नहीं है और हम कहीं न कहीं हंसी का पात्र जरूर बनेंगे इसलिए इसलिए आप तीर्थ क्षेत्र का मंदिर में पहुंचे तो पूरे कपड़े पहन कर पहुंचा इसके पीछे हमारा बस यही उपदेश है वहीं इस पूरे मामले पर भक्त नितिन शाह जोकि सॉफ्टवेयर इंजीनियर भी है उनके अनुसार भारत के सभी मंदिरों में वस्त्रों को लेकर एक नियम बना है तो हमें भी हमारे भारतीय संस्कृति के अनुरूप और मंदिर की मर्यादा को देखते हुए पूरे वस्त्र पहन कर ही मंदिरों में जाना चाहिए अगर हम हमारी युवा पीढ़ी को भी भारतीय सनातन संस्कृति के बारे में बताएंगे तो वह जरूर इसे मानेंगे और मंदिर परिसर का यह निर्णय अच्छा है जिससे हमारी सनातन भारतीय संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा