मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा ताजमहल बनाने के पूर्व बेगम मुमताज को 6 माह के लिए बुरहानपुर ताप्ती नदी के उस पार आहो खाना में रखा गया था। आज भी यह ऐतिहासिक आहो खाना देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक बुरहानपुर पहुंचते हैं। लेकिन बुरहानपुर में ऐतिहासिक धरोहरों की दुर्दशा दिन पर दिन बत्तर होती जा रही है । पुरातत्व विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है ।लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद भी ऐतिहासिक स्थल बदहाली का सामना कर रहे हैं हम बात कर रहे हैं। आहो खाना और परकोटा दीवार की। जहां पर तेज बारिश के कारण चारों ओर की बाउंड्री धीरे-धीरे गिर रही है जिससे इस ऐतिहासिक धरोहर की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है और इसके चारों ओर कई लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है । विभाग का इस और ध्यान नहीं है वहीं इसको लेकर शहर के इतिहासकारों ने चिंता व्यक्त की है।
परकोटे दीवार का हिस्सा ढहा
वही बुरहानपुर की मशहूर परकोटे दीवार जो 500 वर्ष पहले फ़ारूक़ी शासन काल मे बनाई गई थी आज उस दीवार की हालात पूरी तरह से खस्ता हो चुकी है । तेज़ बारिश के कारण कई जगहों का हिस्सा जर्जर होने से परकोटा दीवार के हिस्से गिर रहे है। बुरहानपुर के शिकारपुर वार्ड में कुछ दिन पहले परकोटा दीवार का कुछ हिस्सा गिरा था गनिमत रही की कोई नुकसान नहीं हुआ । यहां आस-पास की दीवार जर्जर हुई और कभी भी गिर सकती है जहां दीवार है इससे लगे रास्ते से स्कूल के बच्चों का आवागमन है और सामने ही मकान बने है। दीवार का हिस्सा दोबारा गिरता है तो दुर्घटना होने का डर है। पिछले 1 साल से परकोटे की दीवार का हिस्सा गिरने की घटनाएं काफी ज्यादा बढ़ गई है। हादसे के समय आसपास कोई नहीं था इस कारण किसी को चोट नहीं आई । पास ही में दो कॉलोनी है जिनके लोग यहां से आवागमन करते हैं।
दीवार का बड़ा हिसार गिरता है तो यहां हादसा हो सकता है परकोटे के आसपास लगातार बढ़ता अतिक्रमण और इसकी देखरेख नहीं होने के कारण यह लगातार जर्जर हो रही है पिछले 1 साल से आधा दर्जन घटनाएं परकोटे की दीवार गिरने की हो चुकी है। शनवारा से गणपति नाका के बीच ही दो जगह दीवार का बड़ा हिस्सा ढह गया है।